ये ‘पा’ मूवी में कौशल अपने बेटे से कहता है. इस मूवी में कौशल बने थे परेश रावल, और अमोल का किरदार प्ले किया था अभिषेक बच्चन ने. और जिसके बारे में इस डायलॉग में बात हो रही है, वो है औरो. अमोल का लड़का. औरो बने थे, अमिताभ बच्चन.
ये पहली बार था जब रियल में बाप-बेटे की जोड़ी, पर्दे पर क्रमशः बेटे-बाप की जोड़ी बनी. फिल्म ने खूब तारीफें बटोरी. अमिताभ और अभिषेक, दोनों के काम की तारीफ़ हुई. पिता-पुत्र ने स्टार स्क्रीन अवॉर्ड में ‘जोड़ी नंबर वन’ का अवॉर्ड जीता. उस साल इस फिल्म और इसके एक्टर-एक्ट्रेस की नेशनल फिल्म अवॉर्ड से लेकर फिल्मफेयर, आईआईएफए (इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवॉर्ड्स), स्टारडस्ट और स्टार स्क्रीन अवॉर्ड तक में धूम रही.

लेकिन न तो ये अकेली, न ही पहली फिल्म थी, जिसमें पिता-पुत्र ने स्क्रीन शेयर की हो. इससे पहले भी दोनों ने ‘बंटी और बबली’, ‘सरकार’, ‘कभी अलविदा न कहना’, ‘झूम बराबर झूम’ और ‘सरकार राज’ जैसी कई मूवीज़ में एक साथ काम किया था.
दिक्कत ये रही कि दर्शकों और बॉलीवुड फ़ॉलो कर रहे पत्रकारों का इंट्रेस्ट इस बात पर हमेशा से ही कम रहा कि अभिषेक बच्चन कौन सी मूवी कर रहे हैं, या करेंगे. उनका ज़्यादा इंट्रेस्ट इस बात पर रहा कि पिता-पुत्र कब और किस मूवी में एक साथ आ रहे हैं. अभिषेक के करियर को लोग अगर शुरुआत में फॉलो कर भी रहे थे तो भी इसलिए क्योंकि वो एक स्टार पुत्र हैं. बाद में लोग उन्हें जूनियर बच्चन या एबी बेबी (यानी अमिताभ के पुत्र) कहने लगे.
तो क्या अभिषेक जो डिज़र्व करते थे उससे ज़्यादा पा गए, क्यूंकि वो एक स्टार पुत्र थे? या फिर जितनी तारीफ़ उनकी होनी चाहिए थी, नहीं हुई, क्यूंकि वो स्टार पुत्र थे?
होने को कुछ लोग पहली बात से सहमत हो सकते हैं, और इसी के चलते उनकी एक फ्लॉप फिल्म ‘शरारत’ देखकर एक लेडी ने उन्हें एक थप्पड़ लगा दिया. डांटते हुए बोली-
तुम अपने परिवार का नाम ख़राब कर रहे हो. उन्हें शर्मिंदा कर रहे हो. इसलिए एक्टिंग करना बंद कर दो.
लेकिन कुछ फैक्ट्स पर गौर करने के बाद आपको दूसरी बात भी सही लग सकती है, कि शायद उनके करियर की तुलना उनके पिता के करियर से होने लगी इसलिए वो छोटे पड़ गए. वरना भारत के कुछ सबसे अच्छे निर्देशकों में से एक, मणिरत्नम ने उन्हें बार-बार रिपीट किया है. (‘युवा’, ‘रावण’, ‘गुरु’ वगैरह में). तीन साल लगातार फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड उन्हें मिला था. (‘युवा’, ‘सरकार’, ‘कभी अलविदा न कहना’). उनकी पिछली फिल्म (अनुराग कश्यप की ‘मनमर्ज़ियां’) में भी उनके काम की खूब तारीफ़ हुई थी.